25/01/2023
राधे राधे
प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में 'भारत' को ?
(2)
राधे राधे
#सोचिये_विचारिये
सत्य है, इसपर हम सभी को विचार करना चाहिए
अगर हमारा इतिहास इन दोगले वामपंथियों ने नहीं लिखा होता तो दुनिया के सभी आश्चर्यों पर हमारा यह स्तम्भ अकेला ही भारी पड़ जाता..!
#पट्टीश्वरा स्वामी मंदिर.. कोयंबटूर
ॐ
सनातन हिन्दू धर्मरक्षक
सनातन हिन्दू धर्म प्रेमी
जय हिन्द ।। जय भारत ।। वन्देमातरम
"जय श्री राम
भारत के शेर महाराजा रंजीत सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि..!!
शत शत शत नमन ऐसे महावीर को..!!
27 June 1893
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महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अद्भुत योद्धा, आदिवासी समाज में क्रांतिकारी नवचेतना के सूत्रधार, “जल, जंगल और जमीन“ की रक्षा हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध ‘उलगुलान‘ आंदोलन के महानायक भगवान #बिरसा_मुंडा जी को उनकी #पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्ण नमन।🙏🏽
No Caption Needed
माना की मुसीबतों का पहाड़ बड़ा है
पर हौसला हमारा उससे भी बड़ा है
जीत हमारी ही होगी इस महा जंग में
क्योंकि भगवान हमारा, हमारे संग खड़ा है🙏🏻
्री_राम !!
THE PHILOSOPHY OF THE MAHABHARATA
It is said in the texts that 80% of the fighting male population of the civilization was wiped out in the eighteen days of the Mahabharata war.
Sanjay, at the end of the war went to the spot where the greatest war took place - Kurukshetra.
He looked around and wondered if the war really happened, if the ground beneath him had soaked all that blood, if the great Pandavas and Krishna stood where he stood.
“You will never know the truth about that!” said an aging soft voice.
Sanjay turned around to find an Old man in saffron robes appearing out of a column of dust.
“I know you are here to find out about the Kurukshetra war, but you cannot know about that war till you know what the real war is about.” the Old man said enigmatically.
“What do you mean?”
The Mahabharata is an Epic, a ballad, perhaps a reality, but definitely a philosophy.
The Old man smiled luring Sanjay into more questions.
“Can you tell me what the philosophy is then?”
Sanjay requested.
Sure, began the Old man.
The Pandavas are nothing but your five senses,
Sight,
Smell,
Taste,
Touch
and Sound...,
and do you know what the Kauravas are? he asked narrowing his eyes.
The Kauravas are the hundred vices that attack your senses everyday but you can fight them... and do you know how?
Sanjay shook his head again.
“When Krishna rides your chariot!”
The Old man smiled brighter and Sanjay gasped at that gem of insight.
Krishna is your inner voice, your soul, your guiding light and if you let your life in his hands you have nothing to worry.
Sanjay was stupefied but came around quickly with another question.
“Then why are Dronacharya and Bhishma fighting for the Kauravas, if they are vices?”
The Old man nodded, sadder for the question.
It just means that as you grow up, your perception of your elders change. The elders who you thought were perfect in your growing up years are not all that perfect. They have faults. And one day you will have to decide if they are for your good or your bad. Then you may also realize that you may have to fight them for the good. It is the hardest part of growing up and that is why the Geeta is important.
Sanjay slumped down on the ground, not because he was tired but because he could understand and was struck by the enormity of it all.
What about Karna? he whispered.
“Ah!” said the Old man. “You have saved the best for last. Karna is the brother to your senses, he is Desire, he is a part of you but stands with the vices. He feels wronged and makes excuses for being with the vices as your desire does all the time.
Does your desire not give you excuses to embrace vices?”
Sanjay nodded silently. He looked at the ground, consumed with a million thoughts, trying to put everything together and then when he looked up the Old man was gone.... disappeared in the column of dust..... leaving behind the great philosophy of Life!
( 77 BCE - 15 CE )
( 👉 NOT CHANDRAGUPTA VIKRAMADITYA) was the first Chakravarti emperor of India, the empire spread to Arabia, Europe, Rome
The great king Vikramaditya, whose name is counted among the best kings of India and in his name. Continues the year counting system of India, which we call Vikrami Samvat. In fact, Vikramaditya started the title of Chakravarti Emperor by the kings in India. Vikramaditya’s empire stretched from present-day India to Africa and Rome. Vikramaditya was the first king to hoist victory over the entire Arab world of the present day. King Vikramaditya comes from the few great kings of this era who became the emperors of the Chakravarti after performing the Ashwamedha Yagya. Chakravarti Samrat means a king who rules in all four directions and is not going to challenge him. Not only did Emperor Vikramaditya trample the Arabs and Europe, but he also defeated Rome’s King Julius Caesar in battle
King Vikramaditya made Ujjain his capital , in present-day Madhya Pradesh
King Vikramaditya made Ujjain his capital. At the age of 20, King Vikramaditya had repulsed the forces not only from the borders of India but also from all over Asia. It may be known that at that time India’s borders extended to present-day Arab Europe and East Asia.
After liberating India and Asia, Vikramaditya did not sit on the throne himself but made his elder brother Bhrithari as king, but the deception of his wife made the brother-in-law a monk and after that, the sons of Bhirthari also refused to sit on the throne. Then King Vikramaditya had to sit on the throne. Raja Vikram’s coronation took place on the day of Holy Diwali. He conquered Shakas and founded the world’s first calendar .
A 4.5-feet Murti of Bhagwan Channakeshavaswami, dated back to the 12th century, was discovered while extracting sand at Hemavathy river, at Hale Beluru village in Karnataka's Sakleshpur taluk on Tuesday (23.03.21)..
Power Of Our Ancestors Architects Are rising at its peak..!!
#सोच_से_परे
#विश्वास_जीवन_जीने_का_अधार_है
स्वाभीमान ना खोये
भूमि-मापन के प्राचीन उपकरण - सभी प्रकार के वास्तुओं (भूमि एवं भवन) का निर्धारण मान या प्रमाण से ही किया जाता है; अतः मैं (मय ऋषि) संक्षेप में मापन के उपकरणों के विषय में बतलाता हूँ
1. (मापन की प्रथम इकाई) अङ्गुल-माप परमाणुओं के क्रमशः वृद्धि से होती है । परमाणुओंका दर्शन योगी-जनों को होता है, ऐसा शास्त्रों मे कहा गया है ।
2.आठ परमाणुओं के मिलने से एक 'रथरेणु' (धूल का कण), आठ रथरेणुओं के मिलने से एक बालाग्र (बाल की नोक), आठ बालाग्र से एक 'लिक्षा', आठ लिक्षा से एक 'यूका' एवं आठ यूका से एक 'यव' रूपी माप बनता है
3. उपर्युक्त माप क्रमशः आठ गुना बढ़ते हुये 'यव' बनते हैं । यव का आठ गुना 'अङ्गुल' माप होता है । बारह अङ्गुल माप को 'वितस्ति' (बित्ता) कहते है
4. दो वितस्ति का एक 'हस्त' होता है, जिसे 'किष्कु' भी कहा गया है । पच्चीस हाथ का एक 'प्राजापत्य' होता है
5. छब्बीस हाथ की एक 'धनुर्मिष्ट' तथा सत्ताईस हाथ से एक 'धनुर्ग्रह' माप बनता है । यान (वाहन) तथा शयन (आसन एवं शय्या) में किष्कु माप तथा विमान में प्राजापत्य माप का प्रयोग होता है
6. वास्तुनिर्माण में 'धनुर्मुष्टि' माप का तथा ग्रामादि के मापन में 'धनुर्ग्रह' प्रमाण का प्रयोग होता है । अथवा सभी प्रकार के वास्तु-कर्म में 'किष्कु' प्रमाण का प्रयोग किया जा सकता है।
7. हस्त माप को 'रत्नि', 'अरत्नि, 'भुज', बाहु' एवं 'कर' कहते हैं । चार हस्त से 'धनुर्दण्ड' माप बनता है । इसी को 'यष्टि' भी कहते हैं।
8. आठ दण्ड (यष्टि) को 'रज्जु' कहा जाता है । दण्डमाप से ही ग्राम, पत्तन, नगर, निगम, खेट एवं वेश्म (भवन) आदि का मापन करना चाहिये
9.गृहादि का माप हस्त से, यान एवं शयन का मापन वितस्ति (बित्ता) से एवं छोटी वस्तुओं का मापन अङ्गुल से करना चाहिये, ऐसा विद्वानों का मत है ।
10. 'यव' माप से अत्यन्त छोटी वस्तुओं का मापन किया जाता है । यह मध्यमा अङ्गुलि में बीच वाले पर्व के बराबर )अङ्गुलि के मध्य के जोड़ के ऊपर बनी यव की आकृति ) होता है ॥11॥
11. इस माप को 'मात्राङ्गुल' कहते है । इसका प्रयोग यज्ञ में किया जाता है एवं यह माप यज्ञकर्ता की अङ्गुलि से लिया जाता है । इसे 'देहलब्धाङ्गुल' भी कहते है।
12 . इस प्रकार माप का ज्ञान करने के पश्चात् स्थपति को दृढ़तापूर्वक (सावधानी पूर्वक) मापनकार्य करना चाहिये ।
#विशेष - संसार में अपने-अपने कार्यों के अनुसार चार प्रकार के शिल्पी होते हैं ।
13. चार प्रकार के शिल्पी - स्थपिती, सूत्रग्राही, वर्धकि (बढ़ई) एवं तक्षक (छीलने, काटने एवं आकृतियाँ उकेरने वाले) होते हैं । ये सभी (स्थापत्यादि कर्म के लिये) प्रसिद्ध स्थान वाले, सङ्कीर्ण जाति से उत्पन्न एवं अपने कार्यो के लिये अभिष्ट गुणों से युक्त होते हैं
14. 'स्थपति' संज्ञक शिल्पी को भवन की स्थापना में योग्य एवं (गृह-निर्माण के सहायक) अन्य शास्त्रों का भी ज्ञाता होना चाहिये । शारीरिक दृष्टि से सामान्य से न कम अङ्गो वाला तथा न ही अधिक अङ्गो वाला (अर्थात् सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ) धार्मिक वृत्ति वाला एवं दयावान होना चाहिये।
15. स्थपति को द्वेषरहित, ईर्ष्यारहित, सावधान आभिजात्य गुणों से युक्त, गणित तथा पुराणों का ज्ञाता, सत्यवक्ता एवं इन्द्रियो को वश मे रखने वाला होना चाहिये ॥16॥
पढ़ना तो दूर सुना तक नही होगा .......
लेखक : अजेष्ठ त्रिपाठी
मथुरा स्थित ईदगाह में चार युवकों सौरभ लंबरदार, राघव मित्तल, कृष्णा ठाकुर, कान्हा ठाकुर ने पढ़ डाली हनुमान चालीसा 🚩🚩🚩
कल तक मंदिर में नमाज पढ़ने को सामाजिक सौहार्द बताने वाले अब कहेंगे कि संघी नफरत फैला रहे है 😝😝😂
ये नया हिन्दुस्तान है।
घर में घुस कर वार करेगा।
🚩🚩🚩😻
रुस से एक महिला आयी और भगवा झंडा लिए हिंदुत्व का नारा लगाते हुए एक व्यक्ति से पूँछी
महिला --आप क्या हिन्दू हो ?
युवक_ हा मैं कट्टर हिन्दू हु
महिला _ कट्टर हिन्दू मतलब ?
युवक _ जो धर्म के प्रति ज्यादा जागृत रहे
महिला __ अर्थात आपको धर्म का ज्यादा ज्ञान है
युवक झेंपते हुए __ हां
महिला __ बताईये हिन्दू धर्म मे जिन पंच देवो की हम पूजा करते है वो कौन है ?
युवक__ नही पता
महिला_ वेद पहले कैसे था ? वेद और वेदांत में अंतर क्या है ?
युवक __नही पता
महिला ___ उपनिषद किसकी भाषा बोलते है ? वेद किसके शब्द है ?
युवक ___ नही पता
महिला __ लक्ष्मी का गणेश के साथ पूजा का क्या अर्थ है ?
युवक ___ नही पता
महिला _ गौरी गोबर की ही क्यो बनाई जाती है मिट्टी की क्यो नही ?
युवक __ नही पता
महिला ___ क्या गीता में वेदों और उपनिषदों से कुछ अलग लिखा है ?
युवक _ नही पता
महिला __ उपनिषदों वेदों में ब्रम्हा की मृत्यु होने का क्या अर्थ है ?
युवक ____नही पता
महिला _ आपने तो कहा था आप कट्टर हिन्दू है ..... जाग्रत हिन्दू है लेकिन आपको धर्म के बारे में कुछ नही पता........और न आप कभी जानने की कोशिश किये.........क्या सिर्फ कौवे की तरह कांय कांय करके आप धर्म बचा जाएंगे ?
आपको यही नही पता कि बचाना क्या है धर्म मे
अंधी दौड़ में कूदे जा रहे हो
कल को कोई आपके धर्म मे अधर्म मिला दिया तो आप क्या करोगे ?
जैसे आप क्या कर पाए जब पुराणों में अधार्मिक चीज़ों को भी धार्मिक बना कर लिख दिया गया .......
आज आप उसी मिलाए गए अधर्म को ही धर्म मान बैठे हो कि नही
क्या आप ने आज तक पुराणों को शुद्ध करने का प्रयास किया ?
क्या आपने आज तक पूंछा की महाभारत में श्लोको की संख्या क्यों बढ़ाई गई बार बार और बढ़ाई गई तो डाला क्या गया ?
, महाभारत को उसके मूल में क्यो नही रहने दिया गया?
रामचरित मानस में जितना तुलसीदास ने लिखा था उतना ही क्यो नही रहने दिया गया?
रामचरित मानस में दोहों की संख्या क्यो बढ़ाई गई ?
अगर आप ये प्रश्न पूँछने की हिम्मत रखते ,
धर्म का ज्ञान रखते तो आज धर्म दूषित न होता
और जो धर्म का पतन हुआ है वो न होता.........
नोट..... मजबूरी में नोट लिखना पड़ रहा है क्योंकि कुछ लोग कुतर्क कर रहे है..... ध्यान दे पोस्ट में कट्टरता पर प्रहार नही है बल्कि यह कहा जा रहा है कि धर्म का क ख ग abcd जरूर जानो।
क्योंकि कॉलेज में स्कूल में छात्रों के बीच जो डिबेट होती है उसके बारे में कभी जाने हो? किस स्तर पर दिमाग परिवर्तित करने का खेल होता है....
जिस बात का पता आपके बच्चे को नही होता उधर वाले को होता है और वही आपको मानसिक तौर पर तोड़ दिया जाता है ...
आप बनते रहो हिन्दू और आपका बेटा धर्म परिवर्तन करके आएगा..........
विद्वान बनने और मेहनत करके पढ़ने का महानतम कष्ट उठाने को नही कह रहा हूँ आपको..........
और ऐसी धृष्टता मैं कैसे कर सकता हूं......
्रीराम
श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण हेतु तराशे गए पत्थरों को कार्यशाला से मंदिर परिसर में स्थानांतरित करने का कार्य प्रारंभ हो गया है। इन्ही पत्थरों से भव्य और दिव्य श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण किया जाएगा।
Lal Bahadur Shastri Ji Ki Jayanti Par Unhe Shat Shat Naman...!!
Jai Jaavan Jai Kissan..!!
देखिए ग़द्दारो को, इनकी नफ़रत की इंतेहा भी देखिए, नफ़रत बीजेपी से है, समझ आता है, नफ़रत मोदी जी से है, ये भी समझ आता है, पर ये नफ़रत अगर आपको देश की छवि ख़राब करने के लिए दंगों की आग भड़काने पर मज़बूर कर दे तो आप सिर्फ गुनाहगार ही नहीं पूरे ग़द्दार भी हैं।
रामधारी सिंह 'दिनकर' हिंदी के एक प्रमुख लेखक, और निबंधकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित है। 'दिनकर' स्वतंत्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गए। महान 'राष्ट्रकवि' श्री रामधारी सिंह दिनकर जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।
#महादेवाय, #महेशवराय, #भैरवाय, #शामभवाय नमः 🙏 🙏🏻
जिनके सिर पे छत नहीं ...वो भी 10 बच्चे पैदा कर रहे हैं.....!!🤔
अब बताओ सरकार उनको घर दे , रोटी दे ,रोजगार दे...या पिछवाडे पे लात दे ?🙄
#हिंदी के #शेक्सपियर नाम से प्रसिद्ध प्रतिभावान उपन्यासकार निबंधकार एवं इतिहासवेत्ता #रांगेय_राघव जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
#कृष्ण_जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद #राधाअष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. राधा अष्टमी का त्योहार इस बार 26 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा.
भगवान श्रीकृष्ण का नाम जब भी लिया जाता है तो ऐसा कभी नहीं होता कि राधा जी का नाम ना लिया जाए. श्रीकृष्ण को आम भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं. ये दो नाम एक दूसरे से हमेशा के लिए जुड़ गए हैं.
राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है. धार्मिक मान्यता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं मिलता है. राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है.
मंगलवार 25 अगस्त को दोपहर 12:21 PM से अष्टमी तिथि आरंभ होगी, जो 26 अगस्त बुधवार को सुबह 10:39 AM बजे तक जारी. राधाष्टमी का व्रत 26 अगस्त के दिन रखा जाएगा.
..!!
#टोडरमल_जी_की_हवेली
चित्र मे दिखाई देने वाली यह हवेली दीवान टोडरमल जी की है। जिन्होंने 78,000 मोहरें बिछाकर #गुरुगोविंद_सिंह जी के #साहबजादों और #माता_गुजरी_देवी_जी के संस्कार के लिए 4 गज जगह खरीदी थी..
क्रूर मुग़ल बादशाह ने मां गुजरी और बच्चों के संस्कार के लिए जमीन देने से मना कर दिया था। तब टोडरमल जी सामने आए उन्होंने राजा से संस्कार के लिए जमीन देने की मन्नतें कीं। राजा ने जमीन की कीमत मांगी थी सोने की मोहरों से जितनी जमीन नापी जा सके उतनी ले लो। जब मोहरें बिछानी शुरू कीं तब धूर्तता ओर कपट में संलीप्त मुगल बादशाह ने ज्यादा रकम ऐंठने के लिए आड़ी नही खड़ी मुद्रायें बिछाने को कहा !
उस समय टोडरमल ने अंतिम संस्कार के लिए खड़ी सोने की मोहरें बिछाकर संस्कार हो सके इतनी जमीन खरीदकर संस्कार करवाया !
इतने क्रूर अत्याचार करने वाले आक्रांताओं के इतिहास को मेकप करके तो हमें रटाया जाता रहा। लेकिन हमारे देश व धर्म के लिए त्याग और बलिदान करने वाले महापुरुषों के इतिहास को गुमनामी में धकेल दिया गया।
आज स्थिति ये है कि खुद दीवान टोडरमल जी की हवेली को देखने वाला कोई नहीं है ........
अफ़सोस,,,,,😢😢😢
#सरहिंद_पंजाब_में_यह_है_यह_हवेली
Mask Is Shorter Than Shroud
Please Wear It Properly..!!
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#भारतीय_संस्कृति देश-विदेश हर तरफ प्रचलित है। सिर्फ भारत देश मैं ही हमारी भारतीय संस्कृति की #अवहेलना हो रही है, कुछ हश्र प्रदर्शनी हमारी संस्कृति और हमारे ऋषियों का उपहास करते हैं जो की असहनीय है। जहां #विदेशियों द्वारा हमारी #भारतीय_सभ्यता अपनाई जा रही है वहीं हम भारतीय हैं अपनी #संस्कृति व #सभ्यता से दूर हो रहे हैं। #Team आर्यव्रत प्रकाशन
#देवभूमि #हिमाचल में बहुत सारे देवी-देवताअों के मंदिर हैं। वहीं हिमाचल के #कुल्लू शहर में #ब्यास और #पार्वती_नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर #बिजली_महादेव का प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि यह विशालकाय घाटी #सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। यहां जिस स्थान पर मंदिर है, वहां शिवलिंग पर हर 12 साल में एक बार भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। जिससे #शिवलिंग #खंडित हो जाता है। उसके बाद पुजारी खंडित शिवलिंग के #टुकड़ों को #मक्खन से जोड़ते हैं। कुछ महीनों के बाद शिवलिंग ठोस स्वरूप में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां बिजली क्यों गिरती है अौर इस स्थान का कुल्लू नाम क्यों पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। आइए जानते हैं #हर_हर_महादेव🙏🏻🙏🏻🚩🚩
#महाराष्ट्र के #नासिक शहर में #गोदावरी_नदी के तट पर स्थित ‘#कपालेश्वर_महादेव_मंदिर’ बेहद मशहूर है क्योंकि ये एकमात्र स्थान है जहां शिव वाहन #नंदी उनके साथ #मौजूद_नहीं है....!!! #शिवजी की पहचान उनके #त्रिशूल, #नाग और #डमरू के साथ साथ वाहन #नंदी के बिना भी अधूरी लगती है। भारत के महाराष्ट्र राज्य का शहर नासिक जो कुंभ मेले के कारण तो जाना ही जाता है पर इसके अलावा वो एक और वजह से भी मशहूर है। यहां गोदावरी नदी के तट पर बना है प्रसिद्ध ‘कपालेश्वर महादेव मंदिर’ और ऐसा माना जाता है कि संसार का यह एक मात्र शिवमंदिर है जहां उनके वाहन नंदी मंदिर में स्थापित नहीं है। पौराणिक हिंदू कथाओं में उल्लेख मिलता है कि ‘कपालेश्वर महादेव मंदिर में एक समय भगवान शिवजी ने निवास किया था। #हर_हर_महादेव
#मध्यप्रदेश का #खजुराहो बहुप्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट माना जाता है। यह टूरिस्ट स्पॉट होने के साथ-साथ तीर्थ स्थल के रुप में भी प्रसिद्ध है। खजुराहों में #मतंगेश्वर_महादेव_मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में स्थित #शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतना ही बाहर भी है। यही नहीं इसके अलावा मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल #शरद_पूर्णिमा के दिन #एक_इंच लंबाई बढ़ती है। इसे यहां के अधिकारी इंची टेप से नापते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ जाती है। शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा इंची टेप से नापते हैं। जहां शिवलिंग पहले से तुलना में लंबा मिलता है। मंदिर की विशेषता यह है की यह शिवलिंग जितना ऊपर है की तरफ बढ़ता है उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़त
#शाकाहारी होना जरूरी क्यों है..?? आप सब हमेशा यह सोचते होंगे इसका उत्तर बहुत ही सरलता से अमोघ लीला प्रभु जी के द्वारा बताया गया है। आशा है आप सभी भाई-बहन इन्हें सुनेंगे और अपने सभी मित्रों और परिजनों को भी इनका वर्णन करेंगे। यह जानकारी हमने (ISKCONDESIRETREE.COM) के माध्यम से प्राप्त की है। #आर्यव्रत_प्रकाशन
पहले किए गए पोस्ट में हमने क़ुतुबमिनर से जुड़ी थोरी जानकारी दी थी॥ वास्तव में वह एक प्राचीन शोध कार्यालय हुआ करता था॥ जो की विष्णु स्तंभ नाम से प्रचलित था। परन्तु कालांतर में आक्रमण कर्ताओं ने उस महान शोधपीठ का विध्वंस कर उसका मज़ाक़ बना दिया॥ इस विडीओ में देखे॥
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